Friday, September 2, 2011

वरवर राव की दो कविताएँ



















|| दुःखी कोयल ||

इस साल ख़ूब बरसा पानी
भर गए नदी नाले
पिछले दस सालों में
कोई भी ऋतु समय पर कहाँ आई थी ?
जेल में क़दम रखते ही
कोयल का स्वागत-गान सुनकर चकित हुआ
सोचा
क्या अभी से बसंत की ऋतु आ गई ?

निज़ाम-युग की दीवारें
कँटीले तार बिजली की मार
सेंट्री की मीनार
दीवारों के अंदर दीवारें
द्वार के अंदर द्वार
ताला लगाना ताला खोलना
पहरे के गश्तों के बीच कैद पड़ी हरियाली
न उड़ सकने वाले कबूतर
अहाते के अंदर बंदी-जैसा आसमान
नीरव दोपहर में 'अल्लाह-ओ-अक़बर' की गूँज
भीगी धरती को छूकर काँपने वाली हवा
सारी ऋतुएँ यहीं बंदी बनी हुई थीं अब तक
आम की कोंपलों और नीम के फूलों का
एक जैसा स्वाद
बेल्लि ललिता की तरह
जकड़ती ज़ंजीरों का गीत
गाता रहता है जेल का कोयल हमेशा
मैं आ गया हूँ शायद इसलिए
या दोस्त कनकाचारी नहीं रहा इसलिए |



















|| मैं हूँ एक अथक राहगीर ||

मैं एक अथक राहगीर हूँ
घुमक्कड़ हूँ
अँधेरी रातों में दामन फैला कर
आसमान से तारे माँगता रहता हूँ
चाँदनी रातों में
जंगल के पेड़ों से फूल माँगता रहता हूँ

आसमान और ज़मीन ने मुझसे कहा -
तारे टूटकर गिरते हैं तो मनुष्य बनते हैं
मनुष्य बड़े होकर लड़कर अमर होकर
आकाश के तारे बनते हैं
फूल धरती पर गिरकर बीज बनते हैं
बीज ही पेड़ बनकर हवा को पँखा झलते हैं
अपने लिए राह के लिए या दीन दुखियों के लिए
किसके लिए दौड़ रहे हो तुम
यह मालूम हो जाए
तो तुम माँग रहे हो या भीख चाहते हो
यह भी स्पष्ट हो जाएगा

मैं लंबी साँस खींच कर
छाती में प्राणवायु भरकर
निर्जीव उसाँस छोड़ता हूँ
फिर भी हवा चलती रहती है
बाँसों के झुरमुट में बाँसुरी बनकर

मैं अँजुरी में पानी भरकर पीता हूँ
लूट को छिपाकर रखता हूँ
सूखा और बाढ़ की सृष्टि करता हूँ
फिर भी
नदिया सुर बनकर
दरिया गीत बनकर
झरना साज बनकर
प्रवाह संगीत बनकर
बहता ही रहता है
धूप खिलकर
प्रकृति का सत्य प्रकट करती रहती है

समय में क्षण की तरह
अणु में परमाणु की तरह
सागर में बूँद की तरह
आग के गोले में चिंगारी की तरह
आगे पीछे
क़दम से क़दम मिलाते हुए
लड़खड़ाते हुए
बिना रुके चलोगे ...छलाँग लगाओगे ...
तभी इस राह में तुम एक चल बनोगे ...
यह कहकर हँसे धरती और ग़गन !

[प्रख्यात क्रांतिकारी तेलुगु कवि वरवर राव की मूल तेलुगु में लिखी इन कविताओं का अनुवाद आर. शांता सुंदरी ने किया है | कविताओं के साथ दिए गए चित्र मशहूर चित्रकार गोपी गजवानी की पेंटिंग्स के हैं |]


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