Saturday, June 30, 2012

मुहम्मद अलवी की तीन उर्दू कविताएँ














|| नज़र आएगा ||

कोई तो सहारा नज़र आएगा
अभी कोई तारा नज़र आएगा

इरादा है उससे लिपट जाऊँगा
अगर वो दोबारा नज़र आएगा

उसे अपने ख़्वाबों में देखा करो
तुम्हें वो तुम्हारा नज़र आएगा

समंदर से यारी बढ़ाते रहो
कभी तो किनारा नज़र आएगा

मिरा शहर है ये, यहाँ हर कोई
मुसीबत का मारा नज़र आएगा




















  
|| लोग वहाँ कैसे हैं ||

शहर कैसा है, मकाँ कैसे हैं
क्या पता लोग वहाँ कैसे हैं !

सुनते हैं और भी जहाँ हैं मगर
कौन जाने वो कहाँ, कैसे हैं

तशिनगी और बढ़ा देते हैं
रेत पर आबे रवां कैसे हैं

हम तो हर हाल में ख़ुश रहते हैं
आप बतलाएँ म्याँ, कैसे हैं

कोई आया न गया है 'अलवी'
फिर ये क़दमों के निशाँ कैसे हैं

(तशिनगी = प्यास)




















|| आँख भर आए तो ||

कोई अच्छा चेहरा नज़र आए तो
उधर जाते-जाते इधर आए तो

ये दिल यूँ तो बच्चों का बच्चा है पर
गुनाह कोई संगीन कर आए तो

चला तो हूँ मैं अपना घर छोड़ कर
मगर साथ में मेरा घर आए तो

कबूतर तेरा उड़ते-उड़ते अगर
मेरी टूटी छत पर उतार आए तो

सबब हो तो रोना भी अच्छा लगे
मगर बेसबब आँख भर आए तो |    

[साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उर्दू कवि मुहम्मद अलवी का जन्म 1927 में हुआ | इनके कई ग़ज़ल-संग्रह प्रकाशित हुए हैं | यहाँ प्रकाशित उनकी कविताओं का अनुवाद ख़ुर्शीद आलम ने किया है, जो उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी से पुरस्कृत हैं | मुहम्मद अलवी की कविताओं के साथ दिये गए चित्र युवा चित्रकार और मूर्तिकार संजय कुमार श्रीवास्तव की पेंटिंग्स की तस्वीरें हैं |]


1 comment:

  1. "ABHI DEHIYE QA QA NAJR AAYEDA,N RAHE DIKHEGI N GHAR AAYEGA, HM MUSHAFIR BNE YU BHATAKTE RAHEGE,N SHAHRA DIKHEGA N SHAHR AAYEGA, KHAMOSH DHANKAN BHI N MAHSHUSH HOGI,BHATKT-BHATKTE KT YU SAFAR JAYGA......" ENHI SHABDO KE SATH " KHOL AANKHE BS YU HI CHALTE RHE CHAND LAMHO ME SB KUCH NAZAR AAYGA"EK SARTHAK RACHNA KE LIYE BADHAYEE

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