Sunday, November 7, 2010

ज्यूल सुपरवील की कविताएँ



















|| धरती ||

कांच का छोटा सा ग्लोब
धरती का छोटा सा ग्लोब
मेरी क्रिस्टल की खूबसूरत गेंद
मैं तुम्हारे पार देखता हूँ |

हम सब बंद हैं
तुम्हारी कठोर और गहन छाती के अंदर
लेकिन खूब चमकते बेहद कांतिमय
रोशनी से घिरे हुए

कुछ : यह दौड़ता घोड़ा
एक रुकी हुई स्त्री
पूर्ण सुंदरता लिए फूल
अपने नक्षत्र पर एक बच्चा

कुछ और : टेबल के आसपास बैठे
या
सिगरेट पीते
कुछ रेत पर लेटे
या
आग में हाथ सेंकते

और स्वयं के आसपास चक्कर काटते
बिना किसी कोशिश
अकारण
आकाश की तरह
इसके नक्षत्रों की तरह
मृत्यु के समान चमकते हम |



















|| प्रात:काल ||

मेरा मन आंगन के उस पार जाता है
जहाँ चिड़ियां चहचहा रही हैं
हल्की छाया से गुज़रती एक लड़की
लौट रही है अपने पुराने प्रेमी के पास |

सुबह का निकाला ऊपर लाया गया दूध
मन में आशा जगाता
सीढ़ियों के अंधेरे छल्लों में
तत्क्षणिक आश्वासन की झंकार

सुबह की उल्लसित ध्वनियां
मेरी ओर बढ़ता एक दिन
न तेज़ न धीरे
नियति के अधीन कुछ कदम

मेरी तीस साल पुरानी टांगें
चालीसवें की ओर बढ़ती हुईं

न प्रेम, न ही घृणा
रोकती इन्हें क्षण भर

मैं फिर उसी जगह खोज लूंगा
अपनी पुरानी और आज की हड्डियां
सजीव देह में, लिपटी रात में
मेरा ह्रदय भारी है, पीड़ा सहता हुआ |



















|| यात्रा ||

मैं नहीं जानता
कि आज इस पृथ्वी का क्या करूँ |
यूरोप की ऊंची चोटी का
आस्ट्रेलिया की समतल धरती का
कैलिफोर्निया का यह तूफान
गंगा के पानी से निकला भीगा हुआ हाथी
गुज़रते हुए मुझे भिगोता
पर कुछ न सिखाता |
एक हाथी की आँख
ऊर्जा के चरम पर पहुंचे एक समझदार आदमी की आँख का
सामना कैसे कर सकती है ?
धरती पर हर तरफ दिखती इन औरतों का क्या करूँ ?
धरती,
जो इन सबसे अधिक गोल है
औरतों !
वही करो
जो तुम चाहती हो
जाओ !
देर मत करो |



















|| मुसाफिर-मुसाफिर ||

मुसाफिर, मुसाफिर मान जाओ कि अब तुम्हें लौटना है |
तुम्हारे लिए शेष नहीं अब कोई नया चेहरा
अनेक दृश्यों के सांचों में ढला तुम्हारा सपना
इसे छोड़ दो इसकी नई परिधि में

लौट आओ चमकते क्षितिज से, जो तुम्हें अभी भी लुभाता है |
अपने भीतर की हलचल को सुनो
और सहेज लो पाम वृक्षों की तीखी उजली हरियाली
जो तुम्हारी आत्मा के मूल तक घिर आई है |

[ ज्यूल सुपरवील (1884 - 1960) 20 वीं सदी के विख्यात फ्रेंच कवि हैं, जिनके बारह कविता संग्रह प्रकाशित हैं | उरुग्वे में जन्में ज्यूल ने जीवन फ्रांस में बिताया | यहाँ दी गईं कविताओं का मूल फ्रेंच से अनुवाद योजना रावत ने किया है | कविताओं के साथ दिए गए चित्र उदयपुर में जन्में तथा पले-पढ़े हेमंत जोशी के मूर्तिशिल्पों के हैं | हेमंत जोशी के मूर्तिशिल्प देश-विदेश में कई स्थानों पर प्रदर्शित व प्रशंसित हो चुके हैं | ]

3 comments:

  1. बहुत अच्छा चयन । अद्भुत अनुवाद जो कविता के प्रवाह को मूल जैसा बनाए रखता है । योजना रावत बहुत-बहुत प्रशंसा की पात्र हैं । आप की पसन्द लाजवाब है । बधाई ।

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छा चयन । कविता के प्रवाह को मूल जैसा बनाए रखता है । योजना रावत बहुत-बहुत प्रशंसा की पात्र हैं । आप की पसन्द लाजवाब है । बधाई

    ReplyDelete
  3. KAVITA DIL KI UPAJ HAI. JAB DIL KISI DIL SE TAKRATI HAI TAB KAVYA-SRIJAN HOTI HAI. AAP KAVILE TARIF HAIN. AAP KA:- DR. MAYA SHANKAR JHA

    ReplyDelete