Sunday, January 30, 2011
राजेंद्र तिवारी की दो ग़ज़लें
|| ज़बानी चाहिए ||
थरथराते होंठों के लफ़्ज़ों को मानी चाहिए
एक मिसरा है अकेला एक सानी चाहिए
सिर्फ़ बीनाई नहीं आंखों में पानी चाहिए
झील दरिया हो तो सकती है रवानी चाहिए
जिसको दुनिया याद रक्खे वो कहानी चाहिए
ज़िंदगी में ज़िंदगी की तर्जुमानी चाहिए
बादशा बेचैन हैं दुनिया पे क़ब्ज़े के लिए
हम फ़क़ीरों को दिलों पर हुक्मरानी चाहिए
रात में सूरज उगे दिन लेके घूमे चाँद को
लोग क्या क्या सोचते हैं शर्म आनी चाहिए
कोशिशें तो कोशिशें हैं कामयाबी के लिए
कोशिशों के साथ उसकी मेहरबानी चाहिए
कर लिया इकरार दिल ने कह दिया आँखों ने हाँ
हमको लेकिन फ़ैसला तुमसे ज़बानी चाहिए |
|| नहीं होती ||
जब ख़ुशी के मिलने पर भी ख़ुशी नहीं होती
इससे बढ़ के दुनिया में बेबसी नहीं होती
इक निगाह मिलते ही प्यार हो तो सकता है
दिल मिले बिना लेकिन दोस्ती नहीं होती
लोग बारहा ख़ुद को रोज़ क़त्ल करते हैं
यार क्या करें हमसे ख़ुदकुशी नहीं होती
बाहरी उजालों से सूरतें चमकती हैं
दिल में इन चराग़ों से रोशनी नहीं होती
सुन सको तो आँखों में लफ़्ज़ गुनगुनाते हैं
ख़ामोश ज़बानों की ख़ामोशी नहीं होती
तश्नगी भटकती है ज़िंदगी के सहरा में
जो दिखाई देती है वो नदी नहीं होती
ख़्वाहिशों के जंगल में दूर तक नहीं जाना
ख़्वाहिशों के जंगल से वापसी नहीं होती |
[ राजेंद्र तिवारी की ग़ज़लें पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं | वह कई संस्थाओं से पुरस्कृत व सम्मानित हो चुके हैं | यहाँ प्रकाशित उनकी ग़ज़लों के साथ दिये गए चित्र शैलेष मेश्राम की पेंटिंग्स के हैं | ]
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श्री अनल कुमारजी-
ReplyDeleteयहाँ प्रस्तुत दोनों ही गजलें उत्तम दर्जे की प्रस्तुति हैं ।
मेरे ब्लाग नजरिया पर पधारकर हौसलाआफजाई करने के लिये आपका धन्यवाद ।
मैं आपका यह ब्लाग फालो कर रहा हूँ । मेरा ब्लाग नजरिया आपका देखा हुआ है ही । फिर भी लिंक यहाँ छोड रहा हूँ । आप भी कृपया मेरे इस ब्लाग को फालो करें जिससे कि एक दूसरे से जुडे रहने और रचनाओं को पढते रहने के कारण नया लिखते रहने के निरन्तर आईडियाज भी परस्पर मिलते रह सकेंगे । धन्यवाद...
http://najariya.blogspot.com/
जब ख़ुशी के मिलने पर भी ख़ुशी नहीं होती,
ReplyDeleteइससे बढ़ के दुनिया में बेबसी नहीं होती।
भावनाओं के अंतर्द्वंद्व को उकेरता बेहतरीन शेर।
दोनों ग़ज़लें अपने कथ्य को बयां करने में सफल हुई हैं।
तिवारी जी को बधाई।
कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें।
ReplyDeleteदोनों ग़ज़लें अपने कथ्य को बयां करने में सफल हुई हैं। बधाई।
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